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kosis karne walo ki kabhi har nhi hoti by Harivansh Rai Bachchan poem in hindi कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है मन का विश्वास रगों में साहस भरता है चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती                                                       -   हरिवंशराय बच्चन

हर पिता यह याद रखे ,father forgets in hindi by w. livingston larned

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सुनो बेटे! मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ. तुम गहरी नींद में सो रहे हो. तुम्हारा नन्हा सा हाथ तुम्हारे नाजुक गाल के नीचे दबा है. और तुम्हारे पसीना-पसीना ललाट पर घुँघराले बाल बिखरे हुये हैं. मैं तुम्हारे कमरे में चुपके से दाखि़ल हुआ हूँ, अकेला. अभी कुछ मिनट पहले जब मैं लाइब्रेरी में अख़बार पढ़ रहा था, तो मुझे बहुत पश्चाताप हुआ. इसीलिये तो आधी रात को मैं तुम्हारे पास खड़ा हूँ, किसी अपराधी की तरह. जिन बातों के बारे में मैं सोच रहा था, वे ये हैं, बेटे : मैं आज तुम पर बहुत नाराज हुआ. जब तुम स्कूल जाने के लिये तैयार हो रहे थे, तब मैंने तुम्हें खूब डाँटा… तुमने टॉवेल को चहरे पर केवल एक बार थपकाया था. तुम्हारे जूते गंदे थे, इस बात पर भी मैंने तुम्हें कोसा. तुमने फर्श पर इधर-उधर चीज़ें फेंक रखी थीं… इस पर मैंने तुम्हें भला-बुरा कहा. नाश्ता करते वक़्त भी मैं तुम्हारी एक के बाद एक ग़लतियाँ निकालता रहा. तुमने डाइनिंग टेबल पर खाना बिखरा दिया था. खाते समय तुम्हारे मुँह से चपड़-चपड़ की आवाज़ आ रही थी. मेज़ पर तुमने कोहनियाँ भी टिका रखी थी. तुमने ब्रेड पर बहुत सारा मक्खन भी चुपड़ लिया था. यही ...

लोक व्यवहार पुस्तक How to Win Friends and Influcnce people by Dale Carnegie book in hindi summary

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           #लोगो को प्रभावित करने के मूलभूत तरीक़े सिद्धांत 1-"बुराई मत करो,निंदा मत करो,शिकायत मत करो" किसी की आलोचना करने का कोई फायदा नहीं होता, क्योकि इससे सामने वाला अपना बचाव करने लगता है, बहाने बनाने लगता है या तर्क देने लगता है|  आलोचना खतरनाक भी है  क्योकि इससे उस व्यक्ति का बहुमूल्य आत्मसम्मान आहत होता है और बह आपके प्रति दुर्भावना रखने लगता है |  मनोविज्ञानिक हैस सेल्वे ने कहा-जितने हम  सराहना के भूखे है,उतने ही हम निंदा से डरते है |  आलोचना या निंदा से कर्मचारियों,  सदस्यों और दोस्तों का मनोबल काम हो जाता है और उस स्थिति में कोई सुधर नहीं होता, जिसके लिए आलोचना की जाती है |  मानव स्वभाव ही ऐसा है कि हर गलत काम करने वाला अपनी गलती के लिए दुसरो को दोष देता है, परिस्थितियों को दोष देता है, परन्तु खुद को दोष नहीं देता | हम सब यही करते है | इसलिए अगली बार जब हमारी इच्छा किसी की आलोचना करने की हो, तो इससे बचे |  किसी की आलोचन अंत करो, ताकि आपकी  आलोचना न हो -लिंकन  सिद्धांत 2- "सच्ची तारीफ कर...